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अध्याय(2): क्या हमारे आस - पास के पदाथ॔ शुद्ध है?


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            ( By. Ghanshyam kr. Chaudhary)
    अध्याय(2): क्या हमारे आस - पास के  पदाथ॔ शुद्ध है?






पदाथ॔:कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो एंव जिसका एक निश्चित द्रव्यमान/आयतन/घनत्व हो प्रदाथ॔ कहलाता है।

 प्रश्न(1) : पदाथ॔ की शुदॄता से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः शुदॄता से अभिप्रायः किसी पदाथ॔ का किसी आवन्छित पदाथ॔ से भिन्न होना है।
उदाहरणः चावल के दानो का ककंड(पत्थर) आदि से भिन्न होना शुदॄता कहलाती है।

पश्न(2) : मिश्रण क्या है? एंव इसके प्रकार की विवेचना कीजिऐ?
उत्तर : दो या दो से अधिक पदार्थों का / तत्वो का /  यौगिकों का / आंशिक रूप से मिलना मिश्रण कहलाता है।
उदाहरण वायु, गैस इत्यादि
मिश्रण के प्रकार 
मिश्रण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं 
(1) समांगी मिश्रण व 
(2) विषमांगी मिश्रण

 प्रश्न(3) :समांगी और विषमांगी मिश्रण को समझाइए?
उत्तर : समांगी मिश्रण 
वह मिश्रण जिसमें पदार्थ के कण एक दूसरे मे पूर्ण रूप से मिश्रित होते हैं एव किसी एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ से अलग करना असंभव होता है समांगी मिश्रण कहलाता है।
 उदाहरण के लिए जल में शर्करा (चीनी) का मिश्रण समांगी मिश्रण है।

विषमांगी मिश्रण
  वह मिश्रण जिसमें पदार्थ के कण एक दूसरे से पृथक होते हैं एक पदार्थ छोटे-छोटे कणो, छोटी-छोटी बूंदों अथवा बुलबुले के रूप में दूसरे पदार्थ में हर जगह फैले होते हैं एवं इन्हें आसानी से पृथक नही किया जा सकता है विषमांगी मिश्रण कहलाता है उदाहरण के लिए तेल में जल का मिश्रण 

प्रश्न(4):  विलयन क्या होता है? एव इसके घटकों का वर्णन कीजिए?
उत्तर: विलयन या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है।
 उदाहरण के लिए नींबू पानी, सोडा जल ,आदि विलयन के उदाहरण है
विलयन को प्रायः दो भागों में विभाजित किया जाता है (विलयन दो चिजो से मिलकर बना होता है।)
(1) विलेय( Solute) घुलनशील पदाथ॔ एवं 
(2) विलायक(Solvent) पदाथ॔ जिसमे घुलता है।

प्रश्न(5): विलयन किसका बना होता है?
उत्तर: विलयन विलेय एवं विलायक से मिलकर बना होता है।







पश्न(6): विलयन के प्रकार को उदाहरण सहित समझाओ?
उत्तर: विलयन प्रायः तीन प्रकार का होता ह
(1)वास्तविक विलयन 
(2)कोलाइडी विलयन 
(3)निलंबन विलयन
















 मिश्रण को पृथक करने के तरीके
1. मिश्रण-------------->(I) दो घुलनशील द्रव्य

मिश्रण-------------->(I) दो घुलनशील द्रव्य
 दो घुलनशील द्रव्य को पृथक करने के लिए आसवन विधि का उपयोग किया जाता है।
सिद्धांत: दो घुलनशील द्रव्य जिसमें से किसी एक पदार्थ का क्वथनांक दूसरे पदार्थ से कम होता है जब मिश्रण को गर्म किया जाता है पदार्थ जिसका क्वंथनाक ( bp ) कम होता है वह वाष्पित होकर मिश्रण से अलग( पृथक ) हो जाता है।
उदाहरण + एसीटोन व जल का मिश्रण।

2.मिश्रण-------------->(II) दो घुलनशील द्रव्य

 

 दो अघुलनशील  द्रव्य   दो अघुलनशील  द्रव्य  को  पृथक  करने के लिए  पृथक्करण की  कीप  विधि का उपयोग किया जाता है।
सिद्धांत: दो अघुलनशील द्रव्य (जो आपस में नहीं घुल सकते हैं )  जिसमें से एक पदाथ॔ का घनत्व दूसरे पदार्थ के घनत्व से कम होता है इस प्रकार के मिश्रण को पृथक्करण कीप विधि द्वारा पृथक किया जाता है।
उदाहरण:जल व तेल क मिश्रण।



प्रश्न(6) :  दो या दो से अधिक घुलनशील द्रव्य को किस प्रकार प्रकार किया जाता है? समझाइए?
उत्तर:  दो घुलनशील द्रव्य के लिए आसवन विधि का उपयोग किया जाता है जबकि दो से अधिक घुलनशील द्रव्य के लिए प्रभाजी आसवन विधि का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न(7) :  प्रभाजी आसवन विधि की विशेषता लिखिए
उत्तर: प्रभाजी आसवन विधि की विशेषताएं निम्नलिखित हैं जैसे
तेल को शुद्ध करने के लिए,
बीजों मैं उपस्थित तेल को पृथक करने के लिए,
कार्बनिक पदार्थों को शुद्ध करने के लिए ,
ऑक्सीजन, नाइट्रोजन एवं अन्य गैस के मिश्रण को पृथक करने के लिए।
प्रश्न(8) : हवा से हम किसी गैस को कैसे पृथक कर सकते हैं ?
उत्तरः प्रभाजी आसवन विधि का उपयोग कर हम हवा से किसी भी गैस को पृथक कर सकते हैं।

प्रश्न(9):  अपकेंद्रीकरण को समझाइए?

उत्तरः जब किसी द्रव्य में मिश्रित पदार्थ को तेजी से घुमाया जाता है तो द्रव्य में उपस्थित भारी पदार्थ नीचे की ओर दबाव डालते हैं एवं हलके पदार्थ द्रव्य के ऊपर आ जाता है बाद में इसे छानन विधि द्वारा पृथक कर लिया जाता है इस पूरी प्रक्रिया को अपकेंद्रीकरण कहा जाता है।
उदाहरण: दूध से क्रीम पृथक करना,
आटे से भूसी पृथक करना इत्यादि।

प्रश्न(10):
 अपकेद्रीकरण विधि का उपयोग बताइए?
उत्तर: अपकेद्रीकरण विधि का उपयोगः

  • प्रयोगशाला में रक्त में उपस्थित नशीले पदार्थ जैसे शराब इत्यादि की जांच करने के लिए,
  • क्रीम से मक्खन बनाने के लिए,
  • वॉशिंग मशीन में कपड़ों से पानी निकालने के लिए।


प्रश्न(11) : वाष्पीकरण विधि का उपयोग कब किया जाता है?

उत्तरः वाष्पीकरण विधि का उपयोग दो पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने के लिए किया जाता है, यह विधि मिश्रण में उपस्थित किसी एक पदार्थ को वाष्पीत कर देता है परिणाम स्वरुप हमें दूसरा पदाथ॔ प्राप्त हो जाता है।
उदाहरण: रंग (डाई) जिसका क्वथंनाक ज्यादा है, जब हम पानी में मिले रंग को गर्म करते हैं तो पानी वाष्पित होकर उड़ जाता है जिसके परिणामस्वरुप डाई  पृथक हो जाता है।


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प्रश्र(12):   उर्ध्वापातन विधि को समझाइए?
उत्तर:  उर्ध्वापातन विधि का उपयोग दो पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने के लिए किया जाता है, जिसमें से एक पदार्थ सीधे ठोस अवस्था से परिवर्तित होकर गैस अवस्था मे आकर मिश्रण से  पृथक हो जाता है।
उदाहरणः अमोनियम क्लोराइड तथा खाने के नमक सोडियम क्लोराइड को इसी विधि द्वारा पृथक किया जाता है।
प्रश्रः पेपर क्रोमैटोग्राफी का उपयोग क्यों किया जाता जाता है?
उत्तरः पेपर क्रोमैटोग्राफी का उपयोग मिश्रण में उपस्थित रंगीन योगीक एंव रंजीत कणो के मिश्रण को पृथक करने के लिए किया जाता है।


प्रश्न(13):  पेपर क्रोमैटोग्राफी के उपयोग बताइए?
उत्तरः पेपर क्रोमैटोग्राफी के उपयोग निम्नलिखित हैं जैसे:
 रंजित कणो के मिश्रण को पृथक करने के लिए,
 क्लोरोफिल से पिगमेंट पृथक करणे के लिए,
 रक्त मे उपस्थित नशीले पदाथ॔ का पता लगाने के लिए।


प्रश्न(14):  क्रिस्टलीकरण विधी का उपयोग बताइए?
उत्तरः क्रिस्टलीकरण विधि का उपयोग मिश्रण में विद्यमान अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाता है।
प्रक्रिया: अशुद्धि क्रिस्टल को सर्वप्रथम एक उपयुक्त विलयन में घोला जाता है और क्रिस्टलीकरण द्रारा क्रिस्टल मे उपस्थित अशुद्धि को पृथक कर लिया जाता है।
उदाहरण कॉपर सल्फेट के क्रिस्टल को सल्फ्यूरिक अमल में घोलने के बाद विलयन को गर्म करके पृथक किया जाता है।

प्रश्न(15): क्रिस्टलीकरण विधी का उपयोग बताइए?
उत्तर क्रिस्टलीकरण का उपयोग निम्नलिखित है जैसे:-
समुद्री पानी से नमक को साफ करने के लिए,
अशुद्ध क्रिस्टल से शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त करने के लिए।
   
Reference taken from : NCERT BOOK.
Image coppied from: Google image.




                            ।।  Radhe Radhe ।।


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                 kumarghanshyam640@gmail.com

2 comments:

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  2. This is really nice sir.
    Thanks for providing......
    Radhe Radhe

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