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अध्याय 2. अम्ल क्षारक एवं लवण


लवण: अम्ल व क्षारक परस्पर / (एक दुसरे के साथ) अभिक्रिया कर लवण का निर्माण करते है।
  • अम्ल + क्षारक --> लवण + H2O

 उदासीनीकरण अभिक्रिया:
  •  रासायनिक अभिक्रिया जिस के दौरान अम्ल और क्षारक आपस में अभिक्रिया कर लवण व जल का निर्माण करते हैं उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाते हैं।                                    अम्ल + क्षारक --> लवण + H2O
  •   उदासीनीकरण अभिक्रिया के फलस्वरुप हमें लवण प्राप्त होता है

अम्लों की रासायनिक अभिक्रियाएँ:-



क्षारको की रासायनिक अभिक्रियाएँ:-








प्रश्न(1) : जलीय विलियन में अम्ल और क्षारक में होने वाले परिवर्तन की चर्चा  कीजिए?
उत्तर: जलीय विलयन में अम्ल और क्षारक वियोजित होकर क्रमशः H+ व OH- आयन प्रदान करते है।
उदाहरणः HCl ---------> H+ Cl- ( जल की उपस्थिति मे अम्ल का वियोजन )
             H2O
    H+ ------------> H3O+(हाइड्रोनियम आयन)

  • जल की उपस्थिति मे क्षार का वियोजन
Mg(OH)2 ----------> (Mg2+)  +  (OH-)

( Note:- सभी क्षारक जल में घुलनशील नहीं होते जल में घुलनशील क्षारक को "क्षार" कहा जाता है। )
Ex:- Mg(OH2), Ca(OH)2, NaOH इत्यादि।

प्रश्न(2):  जल के साथ अम्ल वह क्षारक को मिलाते समय सावधानी क्यो बरतनी चाहिए?
उत्तरः जल के साथ अम्ल व क्षारक की अभिक्रिया अत्याधिक ऊष्माक्षेपी होता है जिस कारण से मिश्रण बनाने के लिए उपयोग मे लाए जाने बाला पात्र टूट सकता है, और वह नुकसान देह है। इसलिए जल के साथ अम्ल वह क्षारक को मिलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
                                           अथवा
प्रश्नः क्यो  हमेशा जल में अम्ल अथवा क्षारक को मिलाना चाहिए?
उत्तर: हमें हमेशा जेल में ही अम्ल अथवा छारक को मिलाना चाहिए क्योंकि यह प्रक्रिया अत्याधिक ऊष्माक्षेपी होता है,जिस कारण से मिश्रण बनाने के लिए उपयोग मे लाए जाने बाला पात्र टूट सकता है, जो कि नुकसान देह है। इसलिए हमेसा जल मे अम्ल अथवा क्षारक को मिलाना चाहिए।

प्रश्न(3):  उदासीनीकरण अभिक्रिया को समझाइए? एवं इसके परिणाम स्वरुप निर्मित लवण की प्रकृति का उल्लेख कीजिए?
उत्तर: उदासीनीकरण अभिक्रिया:
अम्ल व क्षारक परस्पर( एक- दुसरे के साथ) अभिक्रिया करके लवण व जल का निर्माण करते हैं, उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाते हैं।
उदासीनीकरण अभिक्रिया के परिणाम स्वरुप निर्मित लवण की प्रकृति अम्ल व क्षारक की प्रकृति(सांद्रता) पर निर्भर करता है।
उदाहरणः 
प्रबल अम्ल + दुर्बल क्षारक ----------> प्रबल अम्ललीय लवण (7< pH )
दुर्बल अम्ल + प्रबल क्षारक ----------> प्रबल क्षारकीय लवण ( pH >7 )
प्रबल अम्ल + प्रबल क्षारक ----------> उदासीन लवण (pH =7 )
दुर्बल अम्ल + दुर्बल क्षारक -----------> उदासीन लवण (pH =7 )

पश्न(4):  pH स्केल को परिभाषित कीजिए?
उत्तरः  pH स्केल जहाँ,
p - पुसांस (शक्ति); H - हाइड्रोजन।
अतः किसी विलयन में उपस्थित H+आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए विकसित किए गए स्केल को pH स्केल कहा जाता है।
(Note:- pH scale का उपयोग 0 से 14 तक के pH को ज्ञात करने के लिए किया जाता है।)

लवणों की रासायनिक अभिक्रिया
( Chemistry of Salts)

1. सोडियम हाइड्राॅक्साइड(NaOH)
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विधुत धारा प्रवाहित करने पर सोडियम क्लोराइड का जलीय विलयन वियोजित हो कर सोडियम हाइड्राॅक्साइड बनाता है इस अभिक्रिया को क्लोरो - क्षार प्रकिया कहा जाता है।
                           विधुत धारा
  • NaCl + H20 ----------> NaOH + HCl
     ( सोडियम क्लोराइड
        का जलीय विलयन )
                                    विधुत धारा
  • 2NaOH + H20 -------------> 2NaOH + Cl2 + H2
2. विरंजक चुर्ण( Bleaching Powder / CaOCl2 )
कैल्शियम हाइड्रोआक्साइड (बुझा हुआ चूना/[Ca(OH)2] क्लोरीन गैस से अभिक्रिया कर विरंजक चुर्ण का निर्माण करता है।

  • [Ca(OH)2] + Cl2 -----------> CaOCl2 + H2O
                                 (कैल्शियम हाइपोक्लोराइड)

प्रश्न(1):  विरंजन चर्ण के उपयोग बताइऐ?
उत्तरः
  • विरंजन चुर्ण का उपयोग वस्त्र उधोग मे कपड़ो पर रंगाई के लिए किया जाता है।
  • रासायनिक उधोग मे विरंजन चुर्ण का उपयोग उपचायक के रुप मे रासायनिक पदार्थ को बचाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न(2):  क्लोरीन के उपयोग बताइए?
उत्तर: क्लोरीन के उपयोग निम्नलिखित हैं जैसे:-
  • क्लोरीन को पानी की शुद्धता  बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाती है।
  • क्लोरीन का उपयोग जल मे उपस्थित जीवाणुओ को मारने के लिए किया जाता है।
प्रश्न(3): NaOH के दैनिक उपयोग बताइऐ?
उत्तरः NaOH क्मे दैनिक उपयोग निम्नलिखित है:-
  • NaOH को साबून व कागज उधोग मे कागज निर्माण मे किया जाता है।
  • NaOH का उपयोग कारखानो मे लोहे के पुर्जो पर उपस्थित तेल व गंदगी को हटाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न(4):  दो गैसों के नाम बताइए जिनका उपयोग विमानो मे ईंधन के रूप में किया जाता है?
उत्तरः हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन गैस का उपयोग वैज्ञानिक विमानों में ईंधन के रूप में किया जाता है।

3. बेंकिग सोडा( Baking Soda / NaHCO3 )
सोडियम क्लोराइड का जलीय विलियन कार्बन डाइऑक्साइड एवं अमोनिया से अभिक्रिया कर बेकिंग सोडा का निर्माण करता है।

  • NaCl + H2O + CO2 + NH3 ---------> NaHCO3 + NH4Cl
प्रश्न(5): बेकिंग सोडा के उपयोग बताइए?
उत्तर: बेकिंग सोडा के उपयोग निम्नलिखित है जैसे:-

  • बेकिंग सोडा को एंटासिड मे अवयव के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • बेकिंग सोडा का उपयोग खाने को जल्दी पकाने के लिए किया जाता है।
  • बेकिंग सोडा का उपयोग ब्रेड पकोड़ो को खस्ता बनाने के लिए किया जाता है।
  • बेकिंग सोडा का उपयोग अग्निशामक यंत्र में आग बुझाने के लिए किया जाता है।
4. वाशिंग सोडा अथवा धोने का सोडा:
( Na2CO3. 10H2O )
बेकिंग सोडा को गर्म करने पर यह अपने जल व कार्बन डाइऑक्साइड के अणुओ को त्याग कर सोडियम कार्बोनेट का निर्माण करता है, सोडियम कार्बोनेट का 10 जल के अणुओ के साथ अभिक्रिया कर वाशिंग सोडा का निर्माण करता है।
                          ऊष्मा

  • 2NaHCO3 -------------> Na2CO3 + H20 + CO2
  • Na2CO3 + 10 H2O -------> Na2CO3.10H2O
                                                 (वाशिंग सोडा)
प्रश्न(6): वाशिंग सोडा का दैनिक उपयोग बताइए?
उत्तर: वाशिंग सोडा का दैनिक उपयोग निम्नलिखित है जैसे:-

  • वाशिंग सोडा का उपयोग कांच उद्योग में कांचो की सफाई के लिए की जाती है।
  • वॉशिंग सोडा का उपयोग जल की कठोरता को खत्म करने के लिए की जाती है। 
  • वाशिंग सोडा का उपयोग घरो मे साफ - सफाई के लिए की जाती है।

5. प्लास्टर ऑफ पेरिस:
जिप्सम को 373K पर गर्म करने पर यह अपने जल के अणुओं को त्याग कर कैल्शियम सल्फेट अर्धहाइड्रेट/ कैल्शियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट का निर्माण करता है।
  • इसे प्रायः प्लास्टर आॅफ पेरिस भी कहा जाता है।
                        ऊष्मा(373K)
CaSO4.2H2O ----------> CaSO4.1/2H2O + 3/2 H2O
  (जिप्सम)

प्रश्न(7): प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग बताइए?
उत्तरः प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग निम्नलिखित है जैसे:-

  • प्लास्टर ऑफ पेरिस(POP) का उपयोग डॉक्टरों के द्वारा टूटी हुई हड्डियों को पुनःअपने स्थान पर व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है।
  • प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग खेल खिलौना एवं सजावट इत्यादि के समान को बनाने में किया जाता है।
  • POP का  उपयोग खुरदरे सतह को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न(8): क्रिस्टलीकरण / क्रिस्टलन  के जल से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः किसी लवण के एक सूत्र इकाई में उपस्थित जल के अणुओ कि कुल संख्या को क्रिस्टलीकरण /  क्रिस्टलन का जल कहा जाता है।
उदाहरणः CuSO4 .5H2O  यहाँ, क्रिस्टलन का  जल  5 है।
 Na2CO3.10H2O यहाँ, क्रिस्टलन का जल 10 है।



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अध्याय 1. रासायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण

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  अध्याय 1.   रासायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण
                                                     By:- Ghanshyam kr. Chaudhary

प्रश्न(1): रासायनिक अभिक्रिया एवं इसके प्रकार की उदाहरण सहित विवेचना करिए?
उत्तर: रासायनिक अभिक्रिया:
"दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में अभिक्रिया करके एक नए पदार्थ का निर्माण करते हैं, रासायनिक अभिक्रिया कहलाते हैं।"
                          A + B ---------> AB
                                                       जहाँ,
                                                               AB : अभिकारक
                                                                   AB : उत्पाद
रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार:-
रासायनिक अभिक्रिया निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:-
  • संयोजन अभिक्रिया
  • वियोजन अभिक्रिया 
  • विस्थापन अभिक्रिया  
  • द्विविस्थापन अभिक्रिया
  • उपचयन अपचयन ( रेडॉक्स अभिक्रिया )

1. संयोजन अभिक्रिया
रासायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में जुड़कर / मिलकर / अभिकृत/ होकर कर एक नए पदार्थ का निर्माण करते है, संयोजन अभिक्रिया  कहलाते हैं।
उदाहरणः 2H2 + O2 ---------> 2H2O
             C + O2 ---------> CO2

2. वियोजन अभिक्रिया
रसायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान एक एकल पदार्थ टूट कर दो या दो से अधिक पदार्थ का निर्माण करते हैं वियोजन अभिक्रिया कहलाते हैं।
       उदाहरणः                  उष्मा
                             CO2 --------> C + O2
                                       उष्मा   
                             2H20 -------> 2H2 + O2

3. विस्थापन अभिक्रिया
रसायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान एक अधिक अभिक्रियाशील तत्व (पदार्थ) अपने से कम अभिक्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है विस्थापन अभिक्रिया कहलाता है।
उदाहरण:      Fe + CuSO4 --------> FeSO4 + Cu
                  Zn + CuSO4 ---------> ZnSO4 + Cu

4. द्विविस्थापन अभिक्रिया 
रसायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान तत्वो / पदार्थों के यौगिकों के बिच आयनो का आदान-प्रदान होता है, द्विविस्थापन अभिक्रिया कहलाता है।
उदाहरण: Na2SO4 + BaCl2 ---------> BaSO4 + 2NaCl

5. उपचयन एवं अपचयन (रेडॉक्स अभिक्रिया
रसायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान एक पदार्थ उपचयित (अर्थात ऑक्सीजन O2 की वृद्धि) एवं दूसरा पदार्थ अपचयित (अर्थात आक्सीजन  O2 की कमी/ ह्रास होता है) रेडाॅक्स अभिक्रिया कहलाता है।
                             ____उपचयन______
                           |                            |
उदाहरण: CuO + H2 ------->  Cu + H20
                |____अपचयन______|
                         
उपचयन: किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि को उपचयन कहा जाता है।
अपचयन: किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की कमी / ह्रास को अपचयन कहा जाता है।

प्रश्न(2) : उपचयन एवं अपचयन को परिभाषित कीजिए। एवं दैनिक जीवन में उपचयन एवं अपचयन (रेडॉक्स अभिक्रिया) के प्रभाव बताइए ?
उत्तर: उपचयन एवं अपचयन ( रेडॉक्स अभिक्रिया ) की परिभाषा : Qus. No. 1,  (V) Point.

 # हमारे दैनिक जीवन में उपचयन एवं अपचयन का प्रभाव :
1 संक्षारण:
जब कोई धातु आद्रता (नमी) अम्ल व क्षार के संपर्क में आती है, तब धातुओं के ऊपर एक परत जम जाती है जिसके फलस्वरुप धातु की ऊपरी परत कमजोर होकर टूट जाता है संक्षारण कहलाता है।
उदाहरणः लोहे पर भूरे रंग की परत चढ़ना ।

2 विकृतगंधिता:
वसायुक्त और तैलीय खाध सामग्री वायु के संपर्क में आने पर उपचयित हो जाते हैं जिसके फलस्वरुप उनके स्वाद एवं उनके रूप रंग में परिवर्तन आ जाता है इस परिवत॔न को विकृतगंधिता कहा जाता है।

प्रश्न(3) : संचारण को समझाइए। एवं इससे बचने के उपाय का उल्लेख कीजिए?
उत्तर : संक्षारण जब कोई धातु अम्ल आद्रता(नमी) व क्षार के संपर्क में आती है तब धातुओं के ऊपर एक परत चढ़ जाती जिसके परिणामस्वरुप धातु कमजोर होकर टूट जाते है उपरोक्त अभिक्रिया को संक्षारण कहा जाता है।
उदाहरण:

  • लोहे की वस्तुओं पर भूरे रंग की परत चढ़ना।
  • चांदी के ऊपर काली परत का चढ़ना।
  • तांबे के बत॔ण का हरा हो जाना संक्षारण के उदाहरण है।

संक्षारण से निवारण:

  • यशदलेपन ( तेल इत्यादि के उपयोग द्वारा)
  • विद्युत लेपन
  • पेंट करके संक्षारण से धातुओ को बचाया जा सकता है।

प्रश्न(4) : विकृतगंधिता को परिभाषित कीजिए। एवं इससे से बचाव के निम्न कारणों का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर : विकृतगंधिता को परिभाषा : refer Qus.No. 2(ii) point. 

# विकृतगंधिता से बचने के उपाय:
1. प्रति ऑक्सीकारक का उपयोग करके।
उदाहरणः सोडियम बेंजोएट बेंजीन इत्यादि।
2. वायु रोधी बर्तनों में खाद सामग्री रखकर।
3. वायु के स्थान पर नाइट्रोजन गैस का उपयोग कर।
उदाहरण:  चिप्स इत्यादि के पैकेट में नाइट्रोजन गैस का उपयोग उन्हें विकृतगंधिता से बचाने के लिए की जाती है।
4.खाद्य पदाथ॔ को शीतलता प्रदान करके।

प्रश्न(5) : ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया एंव उष्माशोषी अभिक्रिया में अंतर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर: ष्माक्षेपी अभिक्रिया:

  • रसायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान पदार्थ के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा का प्रार्दुभाव (उत्पन्न) होता है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाता है।
  • ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के दौरान पदार्थ के निर्माण के साथ-साथ उष्मा का निर्माण होता है।
  • सभी संयोजन अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के उदाहरण है जैसे:

        2H2 + O2 -------> 2H2O + ऊष्मा

ऊष्माशोषी अभिक्रिया:

  • रासायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान पदार्थ के निर्माण के साथ-साथ उष्मा का शोषण (उपयोग) की जाती है, ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती है।
  • ( Note:-  इस प्रकार के रसायनिक अभिक्रियाओ को संपन्न करने के लिए ऊष्मा बाह्य  रूप से प्रदान की जाती है। अतः पदार्थ के निर्माण हेतु उष्मा की आवश्यकता होती है)
  • सभी वियोजन अभिक्रिया ऊष्माशोषी अभिक्रिया के उदाहरण है जैसे कि:
         ऊष्मा
CO2 ---------> C + O2

प्रश्न(6) : वियोजन अभिक्रिया को परिभाषित कीजिए। एवं इसके प्रत्येक प्रकारों को उदाहरण सहित समझाइए ?
उत्तर : वियोजन अभिक्रिया:
रसायनिक अभिक्रिया जिसके दौरान एक एकल पदार्थ टूट कर में (वियोग कर, अलग अलग होकर ) दो या दो से अधिक पदार्थ का निर्माण करते हैं, वियोजन अभिक्रिया कहलाते हैं।

  • वियोजन अभिक्रिया को संपन्न करने के लिए उष्मा की आवश्यकता होती है अतः इसे ऊष्माशोषी अभिक्रिया भी कहा जाता है।

वियोजन अभिक्रिया के प्रकारः
1 प्रकाशीय वियोजन( Photolytic decomposition)

  • सूर्य की उपस्थिति में होने वाला वियोजन को प्रकाशीय वियोजन कहा जाता है।
  • इस प्रकार की वियोजन अभिक्रिया के लिए सूर्य से मिलने वाली पराबैंगनी किरणो (U.V. rays) की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः
            UV rays सूय॔ का प्रकाश
 2AgCl       ----------->     2Ag + Cl2
         UV rays सूय॔ का प्रकाश
2AgBr       ------------>    2Ag + Br2

2 उष्मीय वियोजन( Thermal decomposition)

  • उष्मा द्वारा होने वाले वियोजन को उष्मीय अभियोजन कहा जाता है।

                               Heat
उदाहरणः  2FeSO4 -------------> Fe2O3 + SO2 + SO3
                               Heat
                CaCO3 --------------> Cao + CO2
3 विद्युत वियोजन( Electrolysis/ Electrical decomposition)

  • विद्युत द्वारा होने वाले वियोजन को विद्युत वियोजन कहा जाता है।
  • ( Note :- जल का विद्युत वियोजन होने पर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैस का निर्माण होता है।)
Conceptual Question
1. किसी रासायनिक अभिक्रिया के दौरान हुए परिवर्तनों को चिन्हित कीजिए?
किसी रासायनिक अभिक्रिया के दौरान निम्नलिखित परिवर्तन चिन्हित किए / देखे  जा सकते हैं जैसे कि:-
1.अवस्था में परिवर्तन,
Ex. कपूर का दहन कोयले का दहन इत्यादि।
2. रंगों में परिवर्तन,
Ex. लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलियन में रखने पर विलियन के रंग में परिवत॔न।
3.गैसों का निकास अथवा उत्सर्जन,
Ex.कोयले के दहन करने पर कार्बन डाइऑक्साइड की उत्पत्ति।
4.तापमान में परिवर्तन इत्यादि
 किसी असंतुलित रासायनिक समीकरण को संतुलित रासायनिक समीकरण में बदलने / परिवत॔न करने के चरण:

रासायनिक समीकरण:
किसी शब्द रसायनिक अभिक्रिया को उनके तत्वों के प्रतीक के रूप में लिखने / दर्शाने को रसायनिक समीकरण कहा जाता है।
उदाहरण: कार्बन व ऑक्सीजन आपस में अभिक्रिया कर कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण करते हैं।
C + O2 --------> CO2
चरणः
1: किसी असंतुलित रासायनिक समीकरण को संतुलित रासायनिक समीकरण में बदलने के लिए सर्वप्रथम दिए गए शब्द रसायनिक समीकरण को उनके तत्वों के प्रतीक के रूप में लिखा जाता है।
Ex. मैग्नीशियम + आॅक्सीजन --------> मैग्नीशियमआॅक्साइड
         Mg       +   O2         ---------> MgO

2. दिए गए रासायनिक अभिक्रिया में दाएं एवं बाई और उपस्थित तत्वों की गणना करना।

3. तत्वों की गणना करने के बाद द्रव्यमान संरक्षण के नियम को सत्यापित करने के लिए दाएं एवं बाएं और प्रत्येक तत्व को एक सामान बनाना।
Ex. Mg    +   O2  --------->   MgO
       2Mg  +   O2 ----------> 2MgO

4. तत्वों को संतुलित करने के बाद उन्हें उनकी भौतिक अवस्था के रूप में लिखना / निरुपित करणा:
जैसे कि:-
ठोस- (S)
द्रव्य- (l)
विलयन- (aq)
गैस- (g).

For ex. 2Mg(s) + O2(g) -------> 2MgO(s)

If you complete understood the consept then Done the Excercise Question No.5,6,7& 8 Given in your NCERT BOOK at 17 page No.
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TISSUE

                      
                         TISSUE
                                          (By: Ghanshyam kr. chaudhary)

Tissue: A group of specialised cell having a common origin, similar shape and specific or common generalised function is known as tissue.
Types of tissues:
Their are mainly two types of tissues





Qus: Write/ discuss the importance of tissues?
Ans:Tissues are very important due to the following reasons:
  • They are organised to form different organs and organ system.
  • They divide the work labour in multicellular organisms.
classfy the plant tissue:
Plant tissues is broadly classified into two groups
1. Meristematic tissue,
2. permanent tissue.
( Note: meristematic and permanent tissues is further classifed into the following categories as shown in block
diageram. )

Explanation
A. Meristematic tissue:

  • It consists of simple living tissues having thin cellulose cell walled compactly arranged immature cells which are capable of division and posses totipotency i.e. capability to divide and form new types of cells.
  • They found in growing regions of the plants.
  • They are responsible for the formation of new cells of the plants.
  • These cell divides rapidly and help in increasing the length and girth of the plant.
Meristematic tissues are classified into the following groups which are as follows:

1. Apical meristems:

  • They are present at the tip of the stems i.e shoot apex and roots i.e root apex.
  • It help in elongation of root and stems which cause the length of the plant will increase.
  • It is responsible of primary growth.
2. Lateral meristems:

  • It present along the sides of longitudional axis of the plant.
  • It help in the formation of vascular bundles.
  • It help to increase the diameter and girth of stems or root.
  • It is also called as secondary meristems and responsible for secondary growth of the plant.
3. Intercalary meristems:

  • They are located at the base of the leaves or internodes.
  • They increase the length of the leaves and internodes.
  • ( Note: Intercalary Meristems is a part of apical Meristems which is left behind during the growth period.)


B. Permanent tissues:

  • The division and differentiation of the cells of meristematic tissue give rise to permanent tissues.
  • These are the group of those meristematic tissues which have lost their division capability.
  • Permanent tissue have definite shape, size and thickness.
  • (Note: meristematic tissues are living while the permanent tissue may be dead or living.)

On the basis of structure composition and function permanent tissue are classified into two groups:

1. Simple permanent tissues &
2. Complex permanent tissues.

Explanation:
1. Simple permanent tissues are made up of one kind of cells which are similar structurally and functionally.
Simple permanent tissue are three types,

  • Parenchyma,
  • Collenchyma &
  • Sclerenchyma.

Parenchyma

  • It is the fundamental tissue because, it is widely distributed in plant body such as stems, roots, leaves, flowers and fruits.
  • It cells are isodiametric and it contain live Protoplasm.
  • It serve as a food storage and packing tissue.
  • It also store waste products of the plant.


Collenchyma

  • It is located below the epidermis of Dicot stem and petiole.
  • It consist of living cells.
  • The characteristics property of the these cells are it contain extra depositions of the cellulose at the corner of each cell.
  • It is mechanical tissue in young plant.
  • It provide mechanical support and elasticity in young stems of dicotyledonous plant.
  • They manufacture sugar and starch if their cells processes chloroplast.


Sclerenchyma

  • It consist of dead lignified cells.
  • It occur in abundance or in patches in definite layers, in stems, roots, veins or leaves, hard covering of seeds and nut It provide mechanical support to the plant.
  • Sclerenchyma contains two types of cell:
  • fibres &
  • sclereids (stone cell).
Some conceptual Question:


Qus. Defined the term idioblast?
Ans. Secretory cells of the plant is known as idioblast.
It store and secret resin, tannins, guns & oil.
Qus. Why parenchyma cells are called idioblast?
Ans. Some parenchyma tissueand their cells involved in storage of excretory substance, so it is called as idioblast.
Qus. Write the primary function of parenchyma?
Ans. The primary function of parenchyma is storing the food.
Qus. (a) Write the name of parenchyma tissue when it contain chlorophyll?
(b) Write the function of this tissues?
Ans. Chloroplast (chlorophyll) containing parenchyma tissues are known as chlorenchyma.
(b) Function:
(i.) Normal parenchyma ( i.e  parenchyma) without chloroplast is involved in storing the food material inside the plant cell.
(ii.) Parenchyma containing chloroplast ( i.e chlorenchyma) perform photosynthesis.
Eg. mesophyll cells (tissue) of the leaves.
Qus. Why the hydrolytic or water plant floating on the surface of water?
Ans. In hydroelectric plant aerenchyma (a type of parenchyma containing large air space) provide a force of buoyancy which is responsible for floating the hydrolytic plant in surface of water.

Complex permanent tissue

  • Complex tissue consists of more than one kind of cells having a common origin.
  • Complex tissue are involved in transportation of organic materials, water and Minerals.
  • It is also known as conducting or vascular tissue.
  • (Note: xylem and phloem arrange together to form vascular bundle or vascular tissue or bundle sheeth.)
xylem
It is a conducting tissue composed of four different types of cells that is:
1. Tracheids,
2. Vessels,
3. Xylem parenchyma &
4. Xylem fibre.
( Note: except xylem parenchyma, all other component of the xylem are dead and lignified cells.)
Function




  • Tracheids and vessels are involved in the conduction of water.
  • Xylem parenchyma store food and help in lateral conduction of water.
Phloem
It is also conducting tissue composed of four different types of cells that is:
1. Sieve tubes,
2. companion cell,
3. Phloem parenchyma &
4. Phloem fibre.
( Note: except phloem fibre, all other component of the phloem are living.)

Function

  • Sieve tube and companion cells work together as a single unit.
  • Phloem transport photosynthetically prepared food materials from the leaves to the storage organs and later from storage organ to the growing region of the plant body.
Qus. write the difference between xylem and phloem?
Ans. Xylem

  • It conduct water and Minerals.
  • Conduction is unidirectional i.e form route to apical part  re of the plant.
  • Conducting cells of xylem are tracheids and vessels.
  • It provide mechanical strength to the plant.
  • Except xylem parenchyma, it is composed of dead cell 


Phloem

  • It conduct organic solute or food materials.
  • Conduction is bidirectional.
  • Conducting cells of phloem are sieve tubes.
  • It has no mechanical function in the plant.
  • Except phloem fibre it is composed of living cells.
 Animal Tussue
It is Divided into four groups, these are as follows:
Epithelial tissue it is it is the simplest animal tissue and it is also known as protective tissue in animal body they are tightly packed and contain very little or no matrix it cover most of the organs and cavities  within the body.
Make it forms barrier and separate different body systems the skin and lining of buccal cavity blood vessels alveoli and kidney tubules are made up of the epithelial tissue note epithelial tissue maybe simple that is composed of single layers of cells or stratified that means made up of several layer of cells epithelial tissue is classified into four different group depending upon the shape and function first squamous epithelium cuboidal epithelium nominal glandular epithelium ciliated epithelium.
Function the main function of epithelial tissue are as follow it forms the outer layer of skin and protects the underlining underline underlying lying cells from drying injury and chemical effect it forms the lining of mouth and alimentary canal and protects these organ it helps in elimination of waste product it helps in absorption of water and nutrients.



Class Xth Board science paper (2018 )

            ASM..Knowledge & education                                                                ByGhanshyam kr. chaudhary                                                                                       
                        Class Xth Board paper (2018 )

                                          SCIENCE
    











                                                                

Class Xth Board Mathematics paper (2017)

              ASM..Knowledge & education                                                                    By- Ghanshyam kr. chaudhary                                                                                       
                            Class Xth Board paper (2017 )
                                          Mathematics














          

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SYLLABUS(CLASS IX- SCIENCE)
  




   reference: www.edudel.nic.in

SYLLABUS(CLASS IX- Mathematics)





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अध्याय(2): क्या हमारे आस - पास के पदाथ॔ शुद्ध है?


  ASM..Knowledge & education
            ( By. Ghanshyam kr. Chaudhary)
    अध्याय(2): क्या हमारे आस - पास के  पदाथ॔ शुद्ध है?






पदाथ॔:कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो एंव जिसका एक निश्चित द्रव्यमान/आयतन/घनत्व हो प्रदाथ॔ कहलाता है।

 प्रश्न(1) : पदाथ॔ की शुदॄता से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः शुदॄता से अभिप्रायः किसी पदाथ॔ का किसी आवन्छित पदाथ॔ से भिन्न होना है।
उदाहरणः चावल के दानो का ककंड(पत्थर) आदि से भिन्न होना शुदॄता कहलाती है।

पश्न(2) : मिश्रण क्या है? एंव इसके प्रकार की विवेचना कीजिऐ?
उत्तर : दो या दो से अधिक पदार्थों का / तत्वो का /  यौगिकों का / आंशिक रूप से मिलना मिश्रण कहलाता है।
उदाहरण वायु, गैस इत्यादि
मिश्रण के प्रकार 
मिश्रण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं 
(1) समांगी मिश्रण व 
(2) विषमांगी मिश्रण

 प्रश्न(3) :समांगी और विषमांगी मिश्रण को समझाइए?
उत्तर : समांगी मिश्रण 
वह मिश्रण जिसमें पदार्थ के कण एक दूसरे मे पूर्ण रूप से मिश्रित होते हैं एव किसी एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ से अलग करना असंभव होता है समांगी मिश्रण कहलाता है।
 उदाहरण के लिए जल में शर्करा (चीनी) का मिश्रण समांगी मिश्रण है।

विषमांगी मिश्रण
  वह मिश्रण जिसमें पदार्थ के कण एक दूसरे से पृथक होते हैं एक पदार्थ छोटे-छोटे कणो, छोटी-छोटी बूंदों अथवा बुलबुले के रूप में दूसरे पदार्थ में हर जगह फैले होते हैं एवं इन्हें आसानी से पृथक नही किया जा सकता है विषमांगी मिश्रण कहलाता है उदाहरण के लिए तेल में जल का मिश्रण 

प्रश्न(4):  विलयन क्या होता है? एव इसके घटकों का वर्णन कीजिए?
उत्तर: विलयन या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है।
 उदाहरण के लिए नींबू पानी, सोडा जल ,आदि विलयन के उदाहरण है
विलयन को प्रायः दो भागों में विभाजित किया जाता है (विलयन दो चिजो से मिलकर बना होता है।)
(1) विलेय( Solute) घुलनशील पदाथ॔ एवं 
(2) विलायक(Solvent) पदाथ॔ जिसमे घुलता है।

प्रश्न(5): विलयन किसका बना होता है?
उत्तर: विलयन विलेय एवं विलायक से मिलकर बना होता है।







पश्न(6): विलयन के प्रकार को उदाहरण सहित समझाओ?
उत्तर: विलयन प्रायः तीन प्रकार का होता ह
(1)वास्तविक विलयन 
(2)कोलाइडी विलयन 
(3)निलंबन विलयन
















 मिश्रण को पृथक करने के तरीके
1. मिश्रण-------------->(I) दो घुलनशील द्रव्य

मिश्रण-------------->(I) दो घुलनशील द्रव्य
 दो घुलनशील द्रव्य को पृथक करने के लिए आसवन विधि का उपयोग किया जाता है।
सिद्धांत: दो घुलनशील द्रव्य जिसमें से किसी एक पदार्थ का क्वथनांक दूसरे पदार्थ से कम होता है जब मिश्रण को गर्म किया जाता है पदार्थ जिसका क्वंथनाक ( bp ) कम होता है वह वाष्पित होकर मिश्रण से अलग( पृथक ) हो जाता है।
उदाहरण + एसीटोन व जल का मिश्रण।

2.मिश्रण-------------->(II) दो घुलनशील द्रव्य

 

 दो अघुलनशील  द्रव्य   दो अघुलनशील  द्रव्य  को  पृथक  करने के लिए  पृथक्करण की  कीप  विधि का उपयोग किया जाता है।
सिद्धांत: दो अघुलनशील द्रव्य (जो आपस में नहीं घुल सकते हैं )  जिसमें से एक पदाथ॔ का घनत्व दूसरे पदार्थ के घनत्व से कम होता है इस प्रकार के मिश्रण को पृथक्करण कीप विधि द्वारा पृथक किया जाता है।
उदाहरण:जल व तेल क मिश्रण।



प्रश्न(6) :  दो या दो से अधिक घुलनशील द्रव्य को किस प्रकार प्रकार किया जाता है? समझाइए?
उत्तर:  दो घुलनशील द्रव्य के लिए आसवन विधि का उपयोग किया जाता है जबकि दो से अधिक घुलनशील द्रव्य के लिए प्रभाजी आसवन विधि का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न(7) :  प्रभाजी आसवन विधि की विशेषता लिखिए
उत्तर: प्रभाजी आसवन विधि की विशेषताएं निम्नलिखित हैं जैसे
तेल को शुद्ध करने के लिए,
बीजों मैं उपस्थित तेल को पृथक करने के लिए,
कार्बनिक पदार्थों को शुद्ध करने के लिए ,
ऑक्सीजन, नाइट्रोजन एवं अन्य गैस के मिश्रण को पृथक करने के लिए।
प्रश्न(8) : हवा से हम किसी गैस को कैसे पृथक कर सकते हैं ?
उत्तरः प्रभाजी आसवन विधि का उपयोग कर हम हवा से किसी भी गैस को पृथक कर सकते हैं।

प्रश्न(9):  अपकेंद्रीकरण को समझाइए?

उत्तरः जब किसी द्रव्य में मिश्रित पदार्थ को तेजी से घुमाया जाता है तो द्रव्य में उपस्थित भारी पदार्थ नीचे की ओर दबाव डालते हैं एवं हलके पदार्थ द्रव्य के ऊपर आ जाता है बाद में इसे छानन विधि द्वारा पृथक कर लिया जाता है इस पूरी प्रक्रिया को अपकेंद्रीकरण कहा जाता है।
उदाहरण: दूध से क्रीम पृथक करना,
आटे से भूसी पृथक करना इत्यादि।

प्रश्न(10):
 अपकेद्रीकरण विधि का उपयोग बताइए?
उत्तर: अपकेद्रीकरण विधि का उपयोगः

  • प्रयोगशाला में रक्त में उपस्थित नशीले पदार्थ जैसे शराब इत्यादि की जांच करने के लिए,
  • क्रीम से मक्खन बनाने के लिए,
  • वॉशिंग मशीन में कपड़ों से पानी निकालने के लिए।


प्रश्न(11) : वाष्पीकरण विधि का उपयोग कब किया जाता है?

उत्तरः वाष्पीकरण विधि का उपयोग दो पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने के लिए किया जाता है, यह विधि मिश्रण में उपस्थित किसी एक पदार्थ को वाष्पीत कर देता है परिणाम स्वरुप हमें दूसरा पदाथ॔ प्राप्त हो जाता है।
उदाहरण: रंग (डाई) जिसका क्वथंनाक ज्यादा है, जब हम पानी में मिले रंग को गर्म करते हैं तो पानी वाष्पित होकर उड़ जाता है जिसके परिणामस्वरुप डाई  पृथक हो जाता है।


o
प्रश्र(12):   उर्ध्वापातन विधि को समझाइए?
उत्तर:  उर्ध्वापातन विधि का उपयोग दो पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने के लिए किया जाता है, जिसमें से एक पदार्थ सीधे ठोस अवस्था से परिवर्तित होकर गैस अवस्था मे आकर मिश्रण से  पृथक हो जाता है।
उदाहरणः अमोनियम क्लोराइड तथा खाने के नमक सोडियम क्लोराइड को इसी विधि द्वारा पृथक किया जाता है।
प्रश्रः पेपर क्रोमैटोग्राफी का उपयोग क्यों किया जाता जाता है?
उत्तरः पेपर क्रोमैटोग्राफी का उपयोग मिश्रण में उपस्थित रंगीन योगीक एंव रंजीत कणो के मिश्रण को पृथक करने के लिए किया जाता है।


प्रश्न(13):  पेपर क्रोमैटोग्राफी के उपयोग बताइए?
उत्तरः पेपर क्रोमैटोग्राफी के उपयोग निम्नलिखित हैं जैसे:
 रंजित कणो के मिश्रण को पृथक करने के लिए,
 क्लोरोफिल से पिगमेंट पृथक करणे के लिए,
 रक्त मे उपस्थित नशीले पदाथ॔ का पता लगाने के लिए।


प्रश्न(14):  क्रिस्टलीकरण विधी का उपयोग बताइए?
उत्तरः क्रिस्टलीकरण विधि का उपयोग मिश्रण में विद्यमान अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाता है।
प्रक्रिया: अशुद्धि क्रिस्टल को सर्वप्रथम एक उपयुक्त विलयन में घोला जाता है और क्रिस्टलीकरण द्रारा क्रिस्टल मे उपस्थित अशुद्धि को पृथक कर लिया जाता है।
उदाहरण कॉपर सल्फेट के क्रिस्टल को सल्फ्यूरिक अमल में घोलने के बाद विलयन को गर्म करके पृथक किया जाता है।

प्रश्न(15): क्रिस्टलीकरण विधी का उपयोग बताइए?
उत्तर क्रिस्टलीकरण का उपयोग निम्नलिखित है जैसे:-
समुद्री पानी से नमक को साफ करने के लिए,
अशुद्ध क्रिस्टल से शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त करने के लिए।
   
Reference taken from : NCERT BOOK.
Image coppied from: Google image.




                            ।।  Radhe Radhe ।।


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